۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम स्वयं को अन्य लोगों की भाँति ईश्वर की प्रभुता की आवश्यकता समझते थे। अल्लाह की प्रभुता में विश्वास के लिए उसकी इबादत की आवश्यकता होती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنَّ اللَّـهَ رَبِّي وَرَبُّكُمْ فَاعْبُدُوهُ ۗ هَـٰذَا صِرَاطٌ مُّسْتَقِيمٌ इन्नल्लाहा रब्बी व रब्बोकुम फ़ाअबोदूहो हाज़ा सिरातुम मुस्तक़ीम । (आले-इमरान, 51)

अनुवाद: बेशक अल्लाह ही मेरा रब और तुम्हारा रब है, तो उसी की इबादत करो। ये सीधा रास्ता है।


क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम स्वयं को अन्य लोगों की तरह ईश्वर की प्रभुता की आवश्यकता समझते थे।
2️⃣ अल्लाह की प्रभुता में विश्वास के लिए उसकी इबादत की आवश्यकता होती है।
3️⃣ उपासना ईश्वर की प्रभुता को स्वीकार करने का व्यावहारिक प्रमाण है।
4️⃣ सीधा रास्ता अल्लाह ताला की इबादत और बंदगी का है।
5️⃣ अल्लाह ताला की इबादत और बंदगी उस पूर्णता तक पहुंचने का सीधा रास्ता है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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